याद करो खिलवत सुकन

By Ranjanaoli


This world is dream of creator. This universe itself is temporary and perishable and the body we have is temporary and perishable too. He gave us free will on how to live. We can choose wisdom, love, respect, harmony, unity or otherwise! Life is not about destiny or fate but the choices we make.


एक खुदा हक महंमद, हर जातें पूजें धर नाऊं।

सो दुनियां में या बिना, कोई नहीं कित काहूं।।२०


रसूल मुहम्मदने कहा कि एक ही पूर्णब्रह्म परमात्मा हैं किन्तु विभिन्न जाति तथा सम्प्रदाय वाले उनको भिन्न-भिन्न नामसे पूजते हैं. वस्तुतः एक परमात्माके अतिरिक्त इस संसारमें अन्य कोई कहीं भी नहीं है.


There is one Supreme God (Khuda) but different sects worship keeping different name but in this world without Him there is nothing else.


सब जातें नाम जुदे धरे, और सबका खावंद एक।

सबको बंदगी याही की, पीछे लडे बिन पाए विवेक।।२२


सभी जातिके लोग एक ही परमात्माको भिन्न-भिन्न नामोंसे पुकारते हैं परन्तु परमात्मा (स्वामी) तो सबका एक ही है. वस्तुतः पूजा भी सभीको इन्हींकी करनी है परन्तु विवेकके अभावसे सभी परस्पर कलह करते हैं.


Different sects(race, caste,region) name Him by different name, but there is only one Master of all. All are worshiping only Him but they are fighting because they have no intelligence to understand.


प्रकरण २ khulasa


Remember sundarsathji our supreme goal first nijanand


एही अपनी जागनी, जो याद आवे निज सुख ।

इसक याहीसों आवहीं, याहीसों होइए सनमुख ।।7


इन सुखोंका स्मरण होते रहना ही आत्माकी जागृति है. इसीसे प्रेमका आविर्भाव होगा. इसलिए सर्वदा इसीकी ओर उन्मुख बनीं रहो.


This is only our awakening getting the remembrance of bliss of the soul (Nij), when one knows one is the soul and remembers the attributes of the soul that is bliss then he gain the Love and when one gains Love one can witness the Supreme Brahm.


४ parikrama


महामत कहे ऐ मोमिनो, याद करो खिलवत सुकन।
जो किया कौल अलस्तो बे रब, मिल हक हादी रूहन ।।7९


महामति कहते हैं, हे ब्रह्मात्माओ ! मूलमिलावेके उन वचनोंको याद करो. वहीं पर श्री राजजी, श्री श्यामाजी तथा ब्रह्मात्माओंने मिलकर परस्पर परिचर्चा की थी. तब श्री राजजीने कहा था, 'क्या मैं तुम्हारा स्वामी नहीं हूँ (अलस्तो बि रब्ब कुम) ?'


मैं भूलों तो तूं मुझे, पलमें दीजे बताए।
तूं भूले तो मैं तुझे, देऊंगी तुरत जगाए।।


वे परस्पर कहने लगीं, यदि मैं भूल जाऊँ तो तू मुझे पल मात्रमें ही बता देना. यदि तू भूल जाएगी तो मैं तुझे तत्काल जागृत कर दूँगी.


If I forget, then you, in a moment remind me and if you forget, then I will instantly awaken you. Remember Lord warned us we will be in different bodies where we will not feel the oneness, we will be in different caste, different languages, different regions, different countries and different lokas (14 lokas) and we will fight with one another and we sat closed to one another holding us tight so we will not but Lord said we will not have the consciousness of the abode nor the intelligence.


Yet we promised oneself to awaken each other the moment anyone of us is awakened. Remember that promise.


prakaran 1 Marfatsagar


तबहीं दुनी पाक होेएसी, तबहीं होसी एक दीन।
जब मुआ सबों का सैतान, तब आया सबों यकीन।।३


तभी यह दुनियाँ पवित्र होगी और तभी समस्त जगतमें एक धर्म स्थापित होगा जब सभीके हृदयसे दुष्टता मिट जाएगी. तब सभीको एक परमात्माके प्रति विश्वास होगा.


It is the duty of awakened soul to illumine the world and purify it and unite them in one true spiritual universal religion under one God then the Satan in the heart will vanish and all will believe in One God.

Thus achieve sukh shital karoon sansaar.
prakaran 4 marfatsagar


 Sarva sundarsath ke charan kamal mein koti koti prem pranam.

 

 

 

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